Tuesday 4 April 2017

भारत का पाकिस्तानी करण

                           भारत का पाकिस्तानी करण 

यह हमें आपको तय करना है की भारत पाकिस्तान के अनुभव से सीखे या उस जैसा बने?
भारत का बौद्धिक वर्ग आज अगर अपने विचार , अपने अनुभव बांटने की कोशिश करता है तो उसे राष्ट्रद्रोही, सेक्युलर, वामपंथी आदि करार देकर पकिस्तान भेजने की बात इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक पर की जाती है. 
 आज के हिंदुस्तान की कट्टर हिंदूवादी राजनीती की तरह ही चालीस साल पहले जनरल ज़िया ने पाकिस्तान को इस्लामी राजनीति के जिस दलदल में धकेला था उससे बाहर निकलने में पकिस्तान आज तक असफल रहा  है.
मज़हबी सियासत वो जिन्न है जिसे बोतल से निकालना तो आसान है, लेकिन वापस बोतल में बंद करना किसी को नहीं आता. जनरल ज़िया कोई धार्मिक नेता नहीं, फ़ौजी जनरल और कमजोर शासक थे. बीजेपी की तरह ही उन्होंने लोकतंत्र को कुचलने के लिए उन्होंने धर्म का भरपूर इस्तेमाल किया.

पाकिस्तान के मौलवियों ने जनरल जिया की कमजोरी का पूरा फ़ायदा उठाया. देश के धार्मिक, भाषायी और नस्ली अल्पसंख्यकों को उग्र तरीक़े से हाशिये पर उसी तरह धकेला गया जैसे आज हिन्दुस्तान के हिन्दू संगठनों द्वारा मुसलमानों को धकेला जा रहा है.

पकिस्तान में हिंदुओं के मंदिर और ईसाइयों के चर्च तोड़ने, उन्हें धमकाने, उनकी लड़कियों का अपहरण करके उनसे जबरन शादी करने की वारदातें होती रहीं. धर्मपरायण गुंडे पूरे जोश और इत्मीनान के साथ अपना काम करते रहे क्योंकि इस पावन अभियान में सत्ता उनके साथ थी.
जमात-ए-इस्लामी से जुड़े छात्र संगठन इस्लामी जमात-ए-तलबा ने यूनिवर्सिटियों में हंगामा मचाया, प्रोफ़ेसरों और विरोधी छात्रों को पीटा, बहसों और सेमिनारों का सिलसिला बंद कराया, कॉलेजों की फ़िज़ा अकादमिक नहीं, धार्मिक और राष्ट्रवादी बनाई.
आज 'भारतीय विद्यार्थी परिषद' भी विश्व विद्यालयों में ठीक वही, मसलन हंगामा मचाना, प्रोफ़ेसरों और विरोधी छात्रों को पीटना, बहसों और सेमिनारों का सिलसिला बंद कराना, जो उनके साथ नहीं है उसे राष्ट्र द्रोही साबित करना आदि कर रहा है जो पाकिस्तान के छात्र संगठन वहां के शिक्षा संस्थानों में कर चुके हैं. 
पाकिस्तान के जिन कुछ लोगों को उस समय ये सब मंज़ूर नहीं था और जो इसकी आलोचना कर रहे थे, वे सेक्युलर, वामपंथी, बुद्धिजीवी और मानवाधिकारवादी टाइप के लोग थे. उन्हें गद्दार, इस्लाम-विरोधी और हिंदू-परस्त कहकर किनारे लगा दिया गया.
ठीक उसी तरह भारत में भी जिन लोगों को ये सब मंज़ूर नहीं है वे सेक्युलर, वामपंथी, बुद्धिजीवी और मानवाधिकारवादी टाइप के लोग कहे जा रहे हैं.  उन्हें राष्ट्रद्रोही, और मुस्लिम परस्त कहकर पाकिस्तान भेजने की बात की जा रही है.

उस ज़माने में पाकिस्तान का बहुसंख्यकों का धर्म 'इस्लाम ख़तरे में' था और आज भारत के १०० करोड़ हिन्दुओं का धर्म खतरे में है. 

पाकिस्तान के मुसलमानों में गर्व की भावना भरना ज़रूरी था इसलिए रातों-रात इतिहास की नई किताबें लिखी गईं, सम्राट अशोक से लेकर गांधी तक सबके नाम मिटाए गए. बच्चों को पढ़ाया जाने लगा कि अरब हमलावर मोहम्मद बिन क़ासिम की जीत से इतिहास शुरू होता है जिसने सिंध के हिंदू राजा दाहिर को हराया था.

आज भारत में भी इतिहास बदलने की बात हो रही है, सडकों -चौराहों के नाम बदले जा रहे हैं, धार्मिक संगठन सेनाएं तैयार कर रहे हैं, भर्तियाँ हो रही है.  सब वही किया जा रहा है जो ४० साल पहले पाकिस्तान में किया गया. 
जनरल जिया के पाकिस्तान में रमज़ान में रोज़ा न रखने वालों की पिटाई, जबरन खाने-पीने की दुकानें बंद कराना, दफ़्तरों में दोपहर की नमाज़ में शामिल न होने वालों का रजिस्टर रखा जाना, सरकारी कामकाज से पहले मौलवियों का ख़ुत्बा (प्रवचन), ये सब 1980 का दशक आते-आते जीवन शैली का हिस्सा हो गए.

आज भारत के हिन्दुओं में गर्व की भावना भरी जा रही है, 'गर्व से कहो हम भारतीय हैं' की जगह 'गर्व से कहो हम हिन्दू हैं के नारे लग रहे हैं', छाती कूटी जा रही है.  देश के विधान भवनों में साधू संत प्रवचन दे रहे हैं, लोगों के फ्रिज चेक किये जा रहे हैं, आप क्या खायेंगे, क्या पियेंगे, कैसे जियेंगे वह सब तय करेंगे . हमारा प्रधानमंत्री धर्म के ठेकेदारों के सामने हाथ बांधे खड़ा है. 
जनरल जिया के शासन में पाकिस्तान के उर्दू अख़बारों ने लगातार इस्लाम बेचा, लोगों को सही नहीं मनपसंद ख़बरें देते रहे, ज़िया या मौलवी से सवाल पूछने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई. बाद में ये सिलसिला टीवी चैनलों ने भी जारी रखा. अलबत्ता 'डॉन' जैसे अख़बार पत्रकारिता करते रहे, लेकिन अंग्रेज़ी अख़बारों से माहौल कहाँ बनना-बदलना था?

बीजेपी के शासन में आज भारत के टीवी चैनल दिन रात राष्ट्रवाद के नकाब में धर्म बेच रहे हैं, किसी की हिम्मत नहीं है की मोदी जी या धार्मिक कट्टरपंथियों से सवाल पूंछ सके . सब वही दोहराया जा रहा है जो पाकिस्तान में हो चूका है.

जब सत्ता में बैठे लोग अपने फ़ायदे के लिए जनता के दिमाग़ में नफ़रत भरें तो उसका बुरा असर कई पीढ़ियों तक ख़त्म नहीं होता. आज भारत में हिन्दुओं के दिमाग में लगातार नफरती बारूद भरा जा रहा है, इसका विस्फोट कितना भयावह होता है यह आप पाकिस्तान की हालत देख कर समझ सकते हैं. 

पाकिस्तान के लोग चालीस साल बाद मज़हबी सियासत के दलदल से निकलने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं, क्योंकि आज पाकिस्तान को सारी दुनियां आतंकवादी राष्ट्र कहती है, पाकिस्तानियों को विदेश में नौकरियां मिलना बंद हो गया है, उन्हें हिक़रात भरी नज़रों का सामना करना पड रहा है.
इस साल नवाज़ शरीफ़ का होली मिलन कार्यक्रम में जाना यही जताने के लिए था कि पाकिस्तान के हिंदू भी देश के नागरिक हैं. जब कि भारत उसी दलदल की तरफ़ पूरे जोश के साथ बढ़ रहा है?
अगर हम समय रहते नहीं चेते तो कल भारत भी कट्टरवादी ताक़तों के कब्ज़े में होगा और हमारा हाल भी पाकिस्तान जैसा होगा. पाकिस्तान की तरह हमारे विद्यालयों में भी हिन्दू ही हिन्दू बच्चों की लाशें बिछाएगा, हिन्दू ही हिन्दू मंदिरों में बम विस्फोट करेगा, हिन्दू कट्टरवादी ही हमारे हवाई अड्डों को ध्वस्त करते नज़र आयेंगे, हिन्दू कट्टरवादी ही हिन्दू माँ बहनों पर अत्याचार करेंगे , उन पर बलात्कार करेंगे , सडकों पर ५००-५०० , १०००-१००० बन्दुक धारी सेनाएं निकलेंगी .

माँ -बहनों, बच्चों की जिंदगी नरक हो जाएगी, कोई देश भारतीयों  को नौकरी के लिए वीसा नहीं देगा, शिक्षा संस्थानो में ताला लग जायेगा. अगर आप भारत में पाकिस्तान जैसे हालात नहीं पैदा करना चाहते तो जागिये, यह आवाज़ उठाने का वक़्त है. 
जागो -भारत जागो !
'नमन'

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