Sunday 19 August 2012

व्यथा

"  हर व्यथा की कथा मैं सुनाता रहा 
     गीत  गाता रहा -मुस्कराता  रहा।"
  
   आज अपनी एक और व्यथा लेकर आपके सामने उपस्थित हूँ| मेरे एक नव जवान मित्र (भाई) ने मेरे फेसबुक पर गुजरात के मुख्यमंत्री क़ी फोटो चिपकाते हुए लिखा क़ी उन्होंने अपने १० सालों के शासन में गुजरात पर विश्व बैंक का जो ५०००० करोड़ का ऋण था ना केवल वह वापस कर दिया बल्कि गुजरात सरकार के १लाख  करोड़ रुपये विश्व बैंक में जमा भी करवाए  हैं| मोदी ज़ी ने गुजरात में सब शराब घर बंद करवा दिए हैं... वगैरह -वगैरह...|

भ्रांतियां कैसे फैलाई जा सकती हैं यह उसका एक उदाहरण है| मेरे मित्र ने विश्व बैंक के सारे नियम बदल डाले और  विश्व बैंक में गुजरात  सरकार के पैसे जमा करवा दिए | गुजरात राज्य जब से बना है तब से वहाँ दारू बंदी है, उसका भी श्रेय मोदी को दे डाला|

 मैं शायद उस पर ध्यान न देता पर श्री मोदी क़ी फोटो मेरी टाइम लाइन पर थी और उन्होंने गुजरात में अल्पसंख्यकों का जो नर- संहार करवाया है उसके कारण श्री मोदी क़ी फोटो मैं अपने फेसबुक  पर बर्दास्त नहीं कर सका| ऐसे किसी व्यक्ति को महिमा मंडित करना मेरी दृष्टि  में अपराध है | मैं भी हिन्दू हूँ, राम और कृष्ण क़ी भूमि से हूँ पर किसी भी ज़ाती या धर्म विशेष के लोगों का  सिर्फ इस लिए कत्ले आम करना क़ी वे किसी ज़ाती या धर्म विशेष के हैं , मेरी समझ में अमानवीय कृत्य है | किसी का जन्म किस जाति या धर्म के परिवार में होगा इस पर उस व्यक्ति का कोई वश नहीं होता | ऐसे में किसी को उसके धर्म विशेष के कारण दण्डित करना अपराध है| श्री मोदी और उनके अंधे समर्थकों का जन्म अगर हिन्दू क़ी जगह किसी मुस्लिम परिवार  में हुआ होता तो शायद  वे विश्व  के सारे हिदुओं क़ी हत्या कर देते | यह एक नाज़ी मानसिकता है, विकृति है | 

श्री मोदी का फोटो चूंकि मेरे अकाउंट पर चिपकाया गया था , मैंने उस पर लिखा क़ी एक अमेरिकी राष्ट्रपति ने ताकत के नशे में जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम गिरा कर लाखों निर्दोष व्यक्तियों क़ी हत्या कर दी, अगर वही एटम बम किसी गौतम बुद्ध, किसी महावीर या किसी महात्मा गाँधी के हाथों में होता तो वे उसे अटलांटिक महासागर में डाल देते | हमें यह तय करना होगा क़ी हम गौतम बुद्ध, भगवान महावीर और महात्मा गाँधी क़ी विचारधारा वाली पार्टी  से शासित होना चाहते हैं या क़ी श्री मोदी क़ी विचारधारा वाली पार्टी से..|

इस पर मेरे मित्र क्रोधित हो गये और उन्होंने लिखा क़ी अगर अमेरिका ने जापान पर बम नहीं डाला होता तो हिन्दुस्तानी आज जापानियों के जूते साफ़ कर रहे होते और श्री नरेन्द्र मोदी ने जो दवा गुजरात को दी उसकी इस बीमार देश को सख्त जरूरत है| 

मेरे मित्र गुजरात में अल्पसंख्यकों के कत्ले आम का समर्थन करते हुए दिखाई पड़े|
मैंने पुनः लिखा क़ी श्री मोदी और जो लोग गुजरात में अल्पसंख्यकों के नरसंहार का समर्थन करते हैं उन्हें शर्मिंदा होना चाहिए|

इस पर वे पुनः भड़क उठे और लिखा क़ी हिन्दुस्तान के  ४०% वोटर युवा हैं और उनकी ऊम्र के हैं और उनसे सहमत हैं| वे बिना कारण महात्मा गाँधी और पंडित नेहरु क़ी आलोचना करने लगे| 
इससे मुझे बड़ा दुःख हुआ| जो युवा  पंडित नेहरू एवं उनके समकालीन नेताओं क़ी सोच को छू तक नहीं सकते, जिन्होंने कभी अपने देश क़ी बात तो छोड़ें अपने शहर, अपने मोहल्ले तक के लिए कुछ नहीं किया वो बड़ी आसानी उन महान नेताओं को अपनी चर्चा में खीँच लेता है और सारा दोष उन पर मढ़ देता है| यह दिखाता है क़ी हम एक कृतघ्न राष्ट्र हैं|  किसी शायर ने क्या खूब कहा है..

" नेक ने तो नेक और बद ने  बद जाना मुझे
  हर किसी ने अपने पैमाने से पहचाना मुझे|" 

 संत विनोबा भावे ने अपने एक भाषण में कहा था क़ी, लोग अक्सर मुझसे पूंछते हैं क़ी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत, जापान, जर्मनी इत्यादि का नव निर्माण एक साथ शुरू हुआ | बाकी के सब देश तेजी से विकसित हुए पर हिन्दुस्तान क्यों पीछे रह गया? मैंने उन्हें बताया 
क़ी जब भारत अपनी स्वतंत्रता क़ी लडाई लड़ रहा था उसी समय जर्मनी द्वितीय विश्व युद्ध लड़ रहा था| जर्मनी आक्रान्ता था, आक्रामक था, गलत था फिर भी उसकी कुल जनसँख्या का ५०% परोक्ष या अपरोक्ष रूप से उस लडाई में भाग ले रहा था | वहीं भारत जो अपनी स्वतंत्रता क़ी लडाई लड़ रहा था उसकी कुल लगभग ३५ करोड़ जनसँख्या का १% यानी ३५लाख लोगों ने भी स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग नहीं लिया| हमें स्वतंत्रता मुफ्त में मिली इसलिए हमें इसकी कीमत नहीं मालूम| अगर हर भारतवासी के घर का काम से काम एक व्यक्ति इस आन्दोलन में शहीद हुआ होता या उसने इस आन्दोलन में भाग लिया होता तो हमें स्वतंत्रता क़ी कीमत पता होती और  आज हमारा राष्ट्र उन्नत राष्ट्रों क़ी श्रेणी में खड़ा होता|

यह तो रही संत विनोबा ज़ी क़ी बात| अब मैं अपनी भी कुछ बात करूँ| मेरे युवा मित्र ने लिखा क़ी गोधरा में मुसलमानों ने ट्रेन जला दी और उसका बदला  गुजरात के सभी मुसलमानों से लेकर मोदी ने सही किया| एक और बात उन्होंने कही क़ी सारे मुसलमान हिन्दुओं के दुश्मन हैं|
अगर यही राय हिन्दुस्तान के ५% नव युवकों क़ी भी है तो हमारे देश और  हमारी बुद्धिजीवी बिरादरी के लिए यह एक चिंता का विषय है|

यह पीढ़ी जिसके अधिकांश युवक वोट देने तक नहीं जाते, जिन्होंने हिन्दुस्तान नहीं देखा है, जिन्होंने हिन्दुस्तान का इतिहास सिर्फ पाठ्य पुस्तकों में पढ़ा है, इन्टरनेट और गूगल का कचरा इनके दिमाग को इतना दूषित कर देगा यह इसके पहले मैंने सपने में भी नहीं सोचा था| अंत में एक मशहूर शायर के शेर के साथ आपसे विदा लेता हूँ...


" क्या करेगा प्यार वो भगवान् से, क्या करेगा प्यार वो रहमान से
    कोख में इंसान क़ी पैदा हुआ, कर सका ना प्यार जो इंसान से||"

2 comments:

  1. Bade bhai ye to duniya hai, aap vyathit na hon nadan logon ki baton se. bahut baar hame bhi kai baaton par bahut gussa aata hai lekin Facebook ki tippani ko sirf etna hi importance dena hai ki logon ki soch ko samajh saken, modi ki aukat sirf Gujrat tak seemit hai, cahnd log andh shraddha ke karan use bhagwan mante hain.....

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  2. kahne ko bahut kuch hai na kahne ko kuch nahi...sach hai ki sadharan log nahi jante ki kya sahi hai kya galat hai..madhyam varg subha se sham roti ke liye bhgta hai...rajniti neta or unki kary vidhiyon ko janne ka unke pas samay nahi..jinhai banaya hai neta wahi desh ko loot kha rahe hai..khe fi wahi ek bat kahne ko bahut kuch na kahne ko kuch nahi..aankh kaan muhn band kiye bander hai hum sab aam log jo ho raha hai use dekhna sunna us pa tippani dena hee nahi chahte..anu

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