Wednesday 26 January 2011

GANTANTRA DIWAS

आज हम एक और गणतंत्र दिवस मना रहे हैं| पर क्या हम आजादी
या प्रजातंत्र का मतलब समझ पाए हैं? जितने सस्ते में ,या कहें जितने कम बलिदानों से हमें आजादी मिली , प्रजातंत्र मिला हम
उसकी कीमत नहीं समझते| दूसरे विश्वयुद्ध के बाद हिन्दुस्तान, जापान, जर्मनी और चीन का पुनर्निर्माण लगभग साथ साथ शुरू
हुआ और बाकी सब देश आगे निकल गए और हम लकीर पीटते
पीछे रह गए| बहुत सोचने पर एक ही कारण नजर आता है वो यही
है क़ी हमें चूँकि आजादी बड़ी आसानी से मिल गयी इसलिए हमें
उसकी कीमत नहीं पता है और उसे सलामत रखने के लिए हम
उतने प्रयत्नशील नजर नहीं आये जितने अन्य देश|
     द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी आक्रान्ता था, आक्रमणकारी  था, गलती पर था  फिर भी जर्मनी क़ी आधी से अधिक जनसँख्या
किसी न किसी रूप में युद्ध में शामिल थी| उसी समय हम अपनी 
स्वतंत्रता क़ी लडाई लड़ रहे थे,  परन्तु १९४२ के भारत छोडो आन्दोलन 
में हमारी कुल आबादी का १% से भी कम हिस्सा सक्रिय रहा|  जिस 
कौम ने अपनी स्वतंत्रता, अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए त्याग ही नहीं 
किया, बलिदान ही नहीं दिए वो कौम उसकी कीमत कैसे समझेगी|
इसीलिए हम आज धर्म, जाति, भाषा इत्यादि के नाम पर लड़ते नजर
आते हैं और देश क़ी कोई सोच ही नहीं रहा|
    मित्रो, अगर देश ही नहीं रहा तो हम धर्म, जाति, भाषा के नाम 
पर किससे लड़ेंगे , किसे दोष देंगे, किससे जीतेंगे, किसे हराएंगे? 
आज फेसबुक पर मेरे एक मित्र ने ओमर अब्दुल्ला को राष्ट्र द्रोही 
कहा, मेरे मित्र क़ी राष्ट्रभक्ति पर मुझे कोई शंका नहीं है पर मेरे मित्र 
के इतिहास के ज्ञान पर जरूर शंका हो रही है| ओमर अब्दुल्ला उसी शेख अब्दुल्ला के पोते हैं जिसने १९४७ में न सिर्फ पाकिस्तानी 
आततायिओं के खिलाफ जंग लड़ी बल्कि जम्मू कश्मीर के भारत में
विलय के महानायक भी रहे| किसी शायर ने कहा है..
गुलिस्तान को लहू क़ी जरुरत पड़ी ,
सबसे पहले ही गर्दन हमारी कटी ,
आज कहते हैं हमसे ए अहले चमन,
ए चमन है हमारा , तुम्हारा नहीं||
आज जम्मू कश्मीर में मंत्रालय से लेकर जिला कार्यालयों तक , पुलिस मुख्यालयों से लेकर सेना के भवनों 
व अन्य सरकारी बिल्डिंगों पर तिरंगा फहरेगा और खुद राज्यपाल और 
मुख्यमंत्री तिरंगा फहराएंगे| ऐसे में ओमर अब्दुल्लाह अगर बी.जे.पी. 
नेताओं से विनती कर रहे थे क़ी आप लाल चौक पर आज तिरंगा 
फहराने से बाज आयें ताकि जो टेंशन इस समय राज्य में है वो न बढे 
तो वे क्या गलत कह रहे थे| 
'अगर हजार नशेमन जलें तो फिक्र न कर,
फिक्र ये कर क़ी गुलिस्तान पे आंच आ न सके||'
 वो यह तो नहीं कह रहे थे क़ी श्रीनगर या जम्मू कश्मीर में तिरंगा नहीं फहरेगा| या यह भी नहीं कह रहे थे क़ी कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग नहीं है| आज जम्मू कश्मीर के १० जिलों में कम से कम ५०० जगहों पर तिरंगा फहराया जायेगा| ऐसे में 
यदि कोई मुख्यमंत्री राज्य और देश में शांति बनाए  रखने के लिए 
किसी पार्टी के आकाओं से विनती करता नजर आये तो वह राष्ट्र द्रोही
हो गया|  पाकिस्तानी मुजाहिदीन और अफगानी तालिबान संगठनो 
के लोग जो आज कल पाकिस्तान में भी तबाही मचाये हुए है काफी 
संख्या में जम्मू और कश्मीर में उपस्थित है | हमारी पुलिस और फ़ौज  उनसे लड़ रही है, पर वे उन्हें ख़त्म नहीं कर पाई हैं| जो तालिबान और उग्रवादी बेनजीर भुट्टो और पंजाब के गवर्नर को पूरी सुरक्षा के बावजूद मार सकते हैं उन्होंने  अगर बी.जे.पी. के कुछ 
युवा कार्यकर्ताओं पर गोली चला दी या कोई बम विस्फोट कर दिया तो 
पूरे देश में दो सम्प्रदायों के बीच और कटुता निर्माण हो सकती है, दंगे 
भड़क  सकते हैं और पूरा देश उसमे झुलस सकता है| ऐसे में कांग्रेस  और ओमर अब्दुल्ला क़ी नीयत में आप कैसे संदेह कर सकते हैं? 
     यही बी.जे.पी. जब ६ से ज्यादा बरसों तक केंद्र में सत्ता में थी तब इन्हें तिरंगा फहराने क़ी नहीं सूझी| आज कल इन्हें  जिन्नाह साहेब   सेकुलर नजर आते हैं| कुछ लोग जो सिर्फ महात्मा गाँधी को गलत
साबित करने में बूढ़े हो चले हैं जिन्नाह क़ी मज़ार पर माथा तक 
टेक आये, और कुछ लोग आतंकवादियों को ?????करोड़ रुपये तक पहुंचा  आये,अब प्रखर राष्ट्रवाद क़ी बात करतें हैं| इश्वर इन्हें सदबुद्धि  दे|  
           खैर इन्हें छोड़ कर चलिए आज उन अमर शहीदों को याद करें 
जिहोने हमें आजादी दिलाई, दुनिया का महानतम प्रजातंत्र दिया..
"तुमने दिया देश को जीवन, देश तुम्हे क्या देगा, 
 अपनी आग तेज रखने को नाम तुम्हारा लेगा||"  'नमन'

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